छत्तीसगढ़ मे युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या से सोशल मीडिया मे आक्रोश...

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Jan 5, 2025 - 15:20
Jan 5, 2025 - 20:25
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छत्तीसगढ़ मे युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या से सोशल मीडिया मे आक्रोश...
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की शवयात्रा मे शामिल लोग

गंगालूर-नेलसनार सड़क के खुलासे से युवा पत्रकार मुकेश चंद्राकर की मौत... 

"छत्तीसगढ़ के बीजापुर क्षेत्र अंतर्गत रहने वाले युवा पत्रकार और 'बस्तर जंक्सन' यूट्यूब चैनल के फाउंडर मुकेश चंद्राकर की हत्या कर दी गई है। पत्रकार का शव बीते शुक्रवार पीडब्ल्यूडी के ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के बैडमिंटन कोर्ट परिसर स्थित एक सेप्टिक टैंक से मिला है।"

बीजापुर / रायपुर। छत्तीसगढ़ के पत्रकारों की युवा आवाज और बस्तर के जंगलों मे आदिवासियों की मुसीबत, नक्सलियों की मुठभेड़ को धारदार तरीके से कवरेज करने वाले पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या हो गई है। पत्रकार मुकेश चंद्राकर के छोटे भाई यूकेश चंद्राकर ने बीते दिन अपने फेसबुक प्रोफाइल पर बड़े भाई के लापता होने की एक पोस्ट लिखी थी।

यह पोस्ट इस खबर के साथ है। पूरा घटनाक्रम बतलाने से पहले पाठकों को यह जानकारी आवश्यक है कि मुकेश था कौन ?

बस्तर जंक्शन के फाउंडर-

बीजापुर ज़िले रहवासी पत्रकार मुकेश चंद्राकर पेशे से जुनूनी खांटी पत्रकार थे। वह जंगलों की खाक छानकर ज़मीनी खबर तालाश करने को गांव-गांव जाते थे। सुदूर आदिवासियों के रोजमर्रा की मुसीबतें हो या बस्तर के नक्सलबाड़ी मे सीआरपीएफ जवानों से माओवादीयों की मुठभेड़ या फिर आदिवासियों में आसपास विकास योजनाओं का तानाबाना सबको मुकेश अपने यूट्यूब चैनल 'बस्तर जंक्शन' के माध्यम से उजागर करते थे। गाहेबगाहे निजी फेसबुक पेज पर या बस्तर टाकीज के सोशल अकाउंट पर वो अपनी तरह के एक और युवा जुझारू पत्रकार रानू के साथ लाइव करते थे। एक पूर्व घटनाक्रम मे मुकेश चंद्राकर ने माओवादी से सीआरपीएफ जवानों को छुड़ाया था। ये टर्निंग प्वाइंट था जब मुकेश बस्तर के हीरो बन गए थे। आदिवासियों की मुखर आवाज और ग्रामीण मुद्दों की पैनी समझ ने उन्हें गांव अंचल मे खासा चर्चित बना दिया था। कहते है ज़्यादा चर्चा भी जब कभी प्रभावशाली / दबंगों को रास नही आती है। वे हर उस आवाज को खामोश रखना चाहते है जो उनके माफिया तंत्र, खनन और वनभूमि पर अवैध कब्जों एवं पीडब्ल्यूडी के मार्फत सड़कों के भ्रष्टाचार को उजागर करता हो।

गंगालूर-नेलसनार मे 52 करोड़ की सड़क का 112 करोड़ रुपया भुगतान / भ्रष्टाचार -

 बीजापुर क्षेत्र मे कांग्रेस पार्टी के एक नेता का करीबी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर जो एक दशक पूर्व तक मामूली आदमी था। आज करीब 100 करोड़ की हैसियत रखता है। ने गंगालूर-नेलसनार सड़क बनाई थी। इस सड़क के 29 टुकड़े / पार्ट थे। जिसमें 17 का निर्माण कार्य सुरेश चंद्राकर द्वारा कराया गया था। बेहद घटिया निर्माण सामग्री और पीडब्ल्यूडी गाइडलाइंस को ताक पर रखकर सड़क बनी थी। मुकेश चंद्राकर ने इस सड़क के गबन, घोटाले को मौत के एक सप्ताह पहले अपनी खबर मे खोल दिया था। वनभूमि मे बाहरी टीनशेड नुमा अवैध कब्जों का भामाशाह ठेकेदार सुरेश चंद्राकर इस कब्जे के आंतरिक गर्भगृह को बड़ा लक्जरी बनाये था। बाहर से देखने मे आम जनता को यह लगे कि यहां तो मजदूर रुकते होंगे लेकिन अंदर ठेकेदार की रामलीला चलती थी। जुगाड़तंत्र से वनभूमि पर कब्जे फिर रसूख से पीडब्ल्यूडी की ठेकेदारी ने सुरेश को पहुंच वाला बना दिया। इस सड़क के भ्रष्टाचार खुलासे ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या करवाने का खाका तैयार कर दिया।

ठेकेदार के बैडमिंटन कोर्ट मे मिली लाश-

युवा पत्रकार मुकेश के छोटे भाई यूकेश ने सोशल मीडिया पर जब बड़े भाई के गुमशुदगी की पोस्ट लिखी तो मुकेश सभी पत्रकारित साथी सक्रिय हो गए। उन्होंने पुलिस से संपर्क किया लेकिन नतीजा बेअसर था। खैर कड़ी खोजबीन पर ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के बैडमिंटन कोर्ट परिसर मे बने सेप्टिक टैंक पर ताजा निर्माण हुआ था। पत्रकारों ने जब पुलिस को इसकी जानकारी दी और जब सेप्टिक टैंक की नवनिर्मित छत को तोड़ा गया तो अध-सड़ी अवस्था मे पत्रकार मुकेश चंद्राकर की लाश बरामद हो गई। दो दिन की मशक्कत और पत्रकारों के सोशल मीडिया मे मचे हल्ले पर छत्तीसगढ़ के आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णु साय व सत्तारूढ़ दल बीजेपी के जनप्रतिनिधियों ने सुध ली। बीते शनिवार पोस्टमार्टम के दरम्यान छत्तीसगढ़ के पत्रकार पीएम हाउस के बाहर धरना दिये। फिर मुख्य सड़क से मुक्तिधाम तक शवयात्रा निकाली गई। शाम को एक श्रद्धांजलि सभा मे सबका दबा आक्रोश उबलकर प्रतिरोध मे तब्दील हो गया। कई गणमान्य इस शोकसभा के साक्षी बने।

उधर पुलिस / राज्य सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा को कानून बनाने के साथ मृतक के परिजनों को मदद देने की सरकार से मांग की है। वहीं पुलिस ने मृतक के छोटे भाई यूकेश चंद्राकर की हालत देखकर तीन मुख्य आरोपी संदिग्ध के आधार पर हिरासत मे लिए है। इनमे ठेकेदार सुरेश चंद्राकर अभी फरार है, उसके करीबी तीन लोग  शामिल है। पूरा सोशल मीडिया उस सेप्टिक टैंक की क्रूरता भरी निर्लज्ज तस्वीर से पटा है जिसके नीचे एक जांबाज पत्रकार की आवाज दफन कर दी गई। पत्रकार नितिन ठाकुर, आलोक शुक्ला, आलोक पुतुल, यशवंत सिंह, वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक आदि ने इसकी पुरजोर भर्त्सना की है। हालफिलहाल मुकेश को न्याय दिलाने के लिए पत्रकारों की एकजुटता सराहनीय कदम है। देखना यह महत्वपूर्ण होगा कि देश मे फिर कोई मुकेश चंद्राकर सी मौत का पात्र न बने और ठेकेदार सुरेश के किरदार मे सिस्टम बौना साबित न हो सके लेकिन होता तो रहेगा ही...