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सपा प्रमुख का तंज

योगी की कलियुगी राज में न जीते जी इलाज और न मरने के बाद सम्मान : अखिलेश  

कोविड -19 की दूसरी लहर आने के बाद पूरा भारत सहम सा गया. श्मशान में लाशों के ढेर लग गये. लोगों की  हालात इस कदर हो गया की भगवान के अलावा और कोई सहारा न था.ऐसे में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की सरकारें इस लहर की पहले से कोई तैयारी न की थी. जिसके कारण दोनों सरकारों की सारी व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी. आलम यह हो गया की लोग असहाय महसूस करने लगे.यहाँ सरकार की बड़ी नाकामी साबित हुई.जिसका हाईकोर्ट इलाहबाद ने सोमवार को संज्ञान लेकर एक  याचिका पर चर्चा करते हुए योगी सरकार को खूब फटकर लगाते हुए हिदायत भी दे डाली. दूसरा योगी सरकार ने पुरे प्रदेश का तब बंटाधार कर दिया जब पंचायत चुनाव कराने का निर्णय ले लिया. पंचायत चुनाव के पहले कोरोना महामारी सिर्फ शहरों तक सिमित थी कहने का मतलब गांवों में इस कदर नहीं फैली थी, की श्मशान में जलाने और दफ़नाने की जगह न हो.पंचायत चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आया लोग शहर छोड़कर अपने-अपने गांवों की तरफ पलायन करने लगे. कारण यह है कि यह चुनाव जनता और प्रत्याशी के बीच बड़ी नजदीकी रिश्तों के कारण,तथा प्रत्याशियों के प्रलोभन के द्वारा अधिक से अधिक लोग शहर छोडकर गाँव में आ गये और साथ में अपने साथ लाये कोरोना की दूसरी लहर की तबाही. अब परिणाम भयंकर हो गया.सरकार का सारा का सारा तंत्र के फेल हो गया . लोग यह भी कहने लगे की अब जिन्दगी भगवान के भरोसे है. इस महामारी ने बहुतो को निगल ली.सिर्फ छोडकर गया एक प्रश्न ? आखिर इसका जिम्मेदार कौन ? ऐसे में विपक्ष को सवाल उठाना जायज बनता है. सी एम योगी को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तंज करते हुए कहते हैं की -----

“सी.एम.योगी को वह कौन सा नुस्खा मालूम है जो डॉक्टर्स को पता नहीं है? निरर्थक दौरों से क्या संदेश देना चाहते हैं सी एम योगी सपा प्रमुख अखिलेश यादव का तंज.”

अखिलेश यादव ने कहा कि, गांवों की दिन पर दिन हालत बिगड़ती जा रही हैं. ऐसे में कोरोना प्रभावित जिलों का दौरा कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, क्या अपनी नाकामियों को छिपाना चाहतें हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखकर योगी से सवाल पूछा कि आखिर उनके पास ऐसा कौन सा नुस्खा है जिसकी जानकारी डॉक्टर्स को नहीं है.अखिलेश ने इन दौरों को निरर्थक की संज्ञा दी. उन्होंने कहा की कोरोना और ब्लैक फंगस की बीमारी से लोगों की प्रतिदिन जानें जा रही है,इलाज की बड़ी अव्यवस्थाएं बरकरार हैं, मरीजों की कहीं सुनवाई नहीं है. तब ऐसी अनियंत्रित अव्यवस्था में मुख्यमंत्री की जनपदीय यात्रा करने से कौन सा परिणाम आएगा ?

मुख्यमंत्री जहां जाते हैं अस्पतालों में मरीजों को उनके हाल पर छोड़कर चिकित्सक व अधिकारी उनकी आवभगत में लग जाते हैं. इस आदेश-निर्देश से क्या हासिल होना है? जब तक मरीज को समय पर इलाज न मुहैया हो. नदी के किनारे शवों का अंबार लगा हुआ है, जिस पर मंडराते गिद्धों-चीलों के दृश्य राज्य सरकार को यह सब क्यों नहीं दिखता है? भाजपा ने चार साल में किसी भी अस्पताल की नींव तक रखी. पूर्व सीएम अखिलेश ने कहा कि क्या यह सच्चाई नहीं है कि उत्तर प्रदेश में जो भी स्वास्थ्य ढांचा है वह समाजवादी सरकार में ही निर्मित हुआ है. हाँ मुझे यह कहते गर्व हो रहा है की भाजपा तो रायबरेली-गोरखपुर में एम्स चालू नहीं कर पाई लेकिन मेरे द्वारा बनाई गयी अवध शिल्पग्राम और हज हाउस आज कोविड इलाज में काम आ रहे हैं. वैसे भी मुख्यमंत्री अपने दौरों की निरर्थक कसरत या आवा जाही से क्या संदेश देना चाहते हैं. उनके पास ऐसा कौन सा नुस्खा है जो डाक्टरों को पता ही नहीं है. बेहतर सुविधाएं सरकार उपलब्ध कराती तो तमाम पीड़ितों को राहत मिलती.और न बड़े पैमाने पर टेस्टिंग हो रही है, न दवाएं.

अखिलेश यादव ने कहा कि, आज गांवों की हालात इस कदर बयाँ कर रही हैं जो कहते नही बनता. प्रदेश की कुल आबादी का 70 % इस राज्य के  एक लाख गांवों में निवास करती है जहाँ कोरोना या ब्लैक फंगस संक्रमण रोकने की कोई व्यवस्था ही नहीं है. पैरासिटामोल तक उपलब्ध नहीं है. वैक्सीनेशन की तो चर्चा करना ही अब व्यर्थ है. गांव-गांव मातम पसरा हुआ है, घर-घर बुखार में परिवार तप रहा है. सबसे दुःखद और शर्मनाक तो यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार निरंतर पर्यटन मोड पर अपना लक्ष्य साधे हुए है. जबकि मुख्यमंत्री को जैसे दूसरे राज्यों में प्रचार की आदत सी पड़ गयी है उसी के चलते अब जिलों-जिलों में दौरा कर रहे है. राज्य में काम बंद,और  रास्ता बंद. सरकार छलावा और वादों के धंधे से अपना काम चला रही है. मुझे कहते यह संकोच नहीं है कि भाजपा की ऐसा कलियुगी राज, जिसमें न जीते जी इलाज और न मरने के बाद सम्मान से अंतिम संस्कार लोगो को मिल पा रहा है.

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