
प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद
शहरों में भी ग्रामीण क्षेत्र की मनरेगा योजना जैसी स्कीम की जरूरत, आर्थिक असमानता पर ईएसी की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ( ईएसी-पीएम) ने केंद्र सरकार को दो टूक शहरों में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही मनरेगा योजना की तर्ज पर एक योजना के सृजन करने की सिफारिश की हैं। साथ ही न्यूनतम मासिक आय ( यूनिवर्सल बेसिक इनकम ) शुरू करने को भी कहा है। पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद ने वक्त रहते सामाजिक क्षेत्र के लिए और अधिक राशि आवंटित करने की भी सिफारिश की हैं। परिषद ने कहा इससे आर्थिक असमानता में कमी आएगी। आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देबराय ने बीते बुधवार को 'भारत मे असमानता की स्थिति' पर रिपोर्ट जारी की हैं। इस रिपोर्ट को प्रतिस्पर्धा संस्थान ने तैयार किया है। रिपोर्ट को सार्वजनिक तो नहीं किया गया लेकिन इसमें सरकार को सुझाव दिया है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में श्रमबल की भागीदारी के अंतर को देखते हुए शहरों में भी मनरेगा की तरह एक स्कीम लाने की आवश्यकता है। ताकि शहर में भी रोजगार गारंटी दी जा सके। इससे शहरों का अतिरिक्त श्रमबल समायोजित हो सकेगा। रिपोर्ट के मुताबिक न्यूनतम आय बढ़ाना और न्यूनतम मासिक आय शुरू करना ऐसी सिफारिश हैं जो श्रम क्षेत्र में आय के अंतर को कम करेगी।
सामाजिक क्षेत्र में खर्च के लिए अधिक धनराशि खर्च करने की आवश्यकता -
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने कहा कि केंद्र सरकार सामाजिक सेवाओ और सामाजिक क्षेत्रों में अधिक धन खर्च करे। इससे देश की बहुसंख्यक जनसंख्या को अचानक लगने वाले झटके मसलन बढ़ती महंगाई के बोझ को सहने की क्षमता मिलेगी। वहीं उन्हें आर्थिक टूटने से बचाया जा सकता हैं। ऐसा करने से वे गरीबी रेखा में जाने से बचेंगे।
भारत मे कुल आय का तिहाई का एक हिस्सा 10 फीसदी लोगों के पास -
पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद ने स्पष्ट किया कि देश मे कुल आय का एक तिहाई हिस्सा 10 % लोगों के हाथ मे हैं। वेतन से अर्जित आय का 6 से 7 फीसदी ही केवल 1 % लोगों के पास आता हैं। जबकि कुल आय के एक तिहाई हिस्से पर दस फीसदी लोगों का एकाधिकार हैं। कुल आय का केंद्रीकरण नहीं होना चाहिए इससे जनता में असंतोष व्याप्त हो सकता हैं। रिपोर्ट के अनुसार 15 साल व इससे अधिक शिक्षित कार्यबल की श्रमबल हिस्सेदारी दर 2017-18 और 2018-19 में 48.8 फीसदी थी। वर्ष 2019-20 में बढ़कर यह 51.5 फीसदी हो गई। स्वनियोजित कर्मचारी 45.78 फीसदी, नियमित वेतनभोगी 33.5 फीसदी और अस्थाई कर्मचारी 20.71 फीसदी हैं।
देश में पूंजीवाद व कुछ खास उद्योगपतियों पर कृपा -
रिपोर्ट का यदि विश्लेषण करेंगे तो स्पष्ट है कि मौजूदा व पूर्ववर्ती केंद्र सरकार में रिलायंस मुकेश अम्बानी व गौतम अडानी जैसे उद्योग पतियों पर खाश कृपादृष्टि हैं। राष्ट्रीय बैंकों से लिये गए इनके कर्जो की माफी, कर्ज में सब्सिडी और देश के अलग अलग राज्यों में खनिज-कोयला उत्खनन,गैस सप्लाई, ईंधन-पेट्रोल फर्मे,सोलर प्लांट योजना आदि इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े निवेश से छोटे कारोबारियों में असमानता बढ़ी है। वहीं देश के प्राकृतिक संसाधनों पर इनका वर्चस्व और केंद्र,राज्य सरकार पर वित्तीय, राजनीतिक दबाव बढ़ा हैं। सरकार पर पूंजीवाद का नियंत्रण हासिये पर जीवन बसर कर रही जनता व सरकारी, स्वनियोजित कर्मचारियों की दैनिक जरूरतों को प्रभावित करता है। देश के कुछ अन्य खास उद्योग फर्मो/कम्पनियों पर भी सरकारों की दया दृष्टि जन असंतोष को विस्फोटक बना सकती हैं। श्रीलंका की आर्थिक तंगी व उसका दिवालिया होना प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।
यूपी में हर परिवार के लिए परिवार कार्ड -
उत्तरप्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर सटीक आंकलन करने के लिए परिवार कार्ड योजना पर विचार किया जा रहा है। इसमें परिवार के बारे में सभी जानकारी होगी,इसको आधार कार्ड से लिंक किया जाएगा। सरकार विचार कर रही हैं कि हर परिवार से एक सदस्य को रोजगार दिया जाए। इसके लिए उच्च स्तर पर विशेषज्ञ समूह बनाकर सलाह बनेगी। सर्वेक्षण में यह जानकारी मिलने पर कि जिनके परिवार से कोई व्यक्ति रोजगार में नहीं है उन्हें योजनाओं का लाभ व स्थाई रोजगार एक सदस्य को दिया जा सकेगा। पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद रिपोर्ट जारी होने के बाद राज्य सरकारों पर इस तरफ चिंतन की बड़ी जिम्मेदारी बढ़ी हैं ताकि आर्थिक असमानता को कमतर किया जा सके। उल्लेखनीय हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में ज़मीनी हकीकत हैं कि मनरेगा योजना में व्याप्त भ्रस्टाचार के चलते गांवों में जाबकार्ड खाली रखें है। प्रधान व सचिव के साझे खेल से ज़रूरतमंद गरीब को रोजगार नहीं मिल रहा जिससे वह शहरों में पलायन कर रहा हैं। यह बोझ भी शहरों की आर्थिक असमानता का एक कारण हैं। किसी भी योजना में सरकारी पारदर्शिता होना नितांत आवश्यक हैं।