
हाईकोर्ट से प्रोसिडिंग स्टे के बावजूद साज़िश
आशीष सागर पर दुष्कर्म का केस लिखवाने वाले राजाभैया यादव ने हाईकोर्ट से स्टे के बावजूद बाँदा न्यायालय को किया गुमराह
उच्च न्यायालय इलाहाबाद के याचिका 482 केस संख्या 6746/ 2019 में प्रोसिडिंग स्टे / हाईकोर्ट में केस लंबित होने के बावजूद बुंदेलखंड के बांदा का एनजीओ विद्याधाम समिति का संचालक राजाभैया यादव ( सपा के बबेरू विधायक विशम्भर यादव का करीबी ) व मुकदमा अपराध संख्या 037/ 2016 थाना अतर्रा, बाँदा केस में दुष्कर्म के आरोपी ने अपने कथित चिंगारी संगठन की सत्तर वर्षीय बुजुर्ग हरिजन महिला ब्लाक संयोजिका गुड़िया उर्फ गुलुआ निवासी क्षेत्र नरैनी ग्राम बाबूपुर- करतल द्वारा 6 साल पहले सुनियोजित तरीके से बाँदा के पत्रकार / सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर दीक्षित पर दर्ज कराए गए दुष्कर्म व अन्य धाराओं के मुकदमा अपराध संख्या 056/2016 थाना नरैनी में प्रकरण पर पिछले छह साल से लगातार ज़िला बाँदा की विशेष अदालत एससीएसटी कोर्ट में मिथ्या प्रार्थना पत्र देकर माननीय न्यायालय को भ्रमात्मक तथ्यों से साजिशन गुमराह करता चला आ रहा है। गत कई बार जरिये अधिवक्ता ( कथित बुजुर्ग पीड़िता के फर्जी दस्तखत बनाकर ) सम्मानित बाँदा विशेष न्यायालय में प्रार्थना पत्र व शपथपत्र देकर लिखित कहा कि आशीष सागर दीक्षित का हाईकोर्ट से स्टे बैकेट हो चुका है। अलबत्ता राजाभैया यादव ने हाईकोर्ट से स्टे बैकेट की आदेश प्रति बाँदा विशेष न्यायालय एससीएसटी कोर्ट में दाखिल नहीं की हैं। ऐसा कर सम्मानित न्यायालय को न सिर्फ गुमराह किया है बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता के राजनीतिक / माफियापरस्त विभिन्न दुश्मनों के साथ सांठगांठ कर सामाजिक कार्यकर्ता का चरित्र हनन करने की योजना तैयार करता रहा है। हाईकोर्ट का प्रोसिडिंग स्टे मामले में अंतिम आदेश 14 मार्च 2022 का हैं जिसमें स्पष्ट लिखा है कि " Till the next ate of listing no coercive action shall be taken against applicant and the matter will be finally heard on the next date " लेकिन आज 25 मई 2022 को राजाभैया यादव संचालक विद्याधाम समिति अतर्रा ने फर्जी प्रार्थना पत्र स्टे बैकेट होने का देकर सम्मानित न्यायालय में सुनवाई की डेट लगवाई हैं। सनद रहे इस केस में पुलिस थाना नरैनी के तत्कालीन चार सीओ व एक दो एसपी ने गहनता से विवेचना कराकर फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की हैं। वहीं बीते 29 मार्च 2022 को उक्त राजाभैया यादव के चिंगारी संगठन की बुजुर्ग महिला द्वारा पांच अन्य उत्पीड़ित व्यक्ति नरैनी क्षेत्र के अपराध संख्या 109/2013 धारा 354, 323, 504 व हरिजन एक्ट सरकार बनाम रामदेव बा-इज्जत बरी हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार आशीष सागर दीक्षित इस महिला का सातवां शिकार हैं। इसी महिला ने पूर्व में मुकदमा अपराध संख्या 201/2011 थाना नरैनी राजा पटेल बनाम सरकार भी दर्ज करवाया था, इसमें भी आरोपी राजा पटेल आदि कोर्ट से बरी हैं लेकिन विद्याधाम समिति व चिंगारी संगठन के राजाभैया यादव और बुजुर्ग हरिजन महिला गुड़िया पत्नी रामचरण श्रीवास ने अपनी साज़िशों का चक्रव्यूह जारी कर रखा है ताकि एनजीओ की देशी- विदेशी फंडिंग का पेशा यथावत चलता रहे।
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बुंदेलखंड को लुटते एनजीओ साल २०१३ स्टोरी
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चित्रकूट मंडल के बांदा में 6 साल पूर्व थाना नरैनी अंतर्गत सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार आशीष सागर दीक्षित के ऊपर अतर्रा निवासी राजाभैया यादव संचालक विद्याधाम समिति व चिंगारी संगठन ने (सपा के बबेरू से तत्कालीन व मौजूदा विधायक विशम्भर यादव के करीबी) सत्तर वर्षीय बुजुर्ग हरिजन महिला से दुष्कर्म व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामलें में तत्कालीन आईओ विवेचक ने अंतिम फाइनल रिपोर्ट बाँदा कोर्ट में दाखिल की थी। फ़ाइनल रिपोर्ट से असंतुष्ट महिला को मोहरा बनाकर राजाभैया यादव ने सम्मानित कोर्ट में प्रोटेस्ट करवाया व पुनः विवेचना की मांग उठाई थी। सम्मानित न्यायाधीश ने कथित पीड़िता की मांग पर पुनः विवेचना का आदेश दिया जिस पर महिला के सजातीय व अन्य जातियों के तत्कालीन सीओ ने महिला द्वारा प्रोटेस्ट में उठाये गए बिंदुओं पर जांच की और बाबूपुर के गांव समाज, महिला के सौतेले भाई, ग्रामीणों के शपथपत्र,बयान व इस केस का मुख्य कारण ग्राम अनथुआ निवासी सीमा विश्वकर्मा,अतर्रा निवासी संगीता वर्मा ( तत्कालीन समय राजाभैया यादव के एनजीओ की फील्ड वर्कर एक्शन एड प्रोजेक्ट ) के बयान पर दुबारा माननीय न्यायालय में फाइनल रिपोर्ट दाखिल की थी। गौरतलब हैं उक्त महिला व राजाभैया यादव की ब्रम्हास्त्र मिसाइल ने कोर्ट में पुनः प्रोटेस्ट किया और आरोपी आशीष सागर दीक्षित को तलब करने की जिरह जरिये अधिवक्ता उठाई। न्यायालय ने इस पर महिला के अपील अधिकार व कथानुसार मामलें को परिवाद में तब्दील कर आशीष सागर दीक्षित को सम्मन किया था। पत्रकार व आरोपी ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में धारा 482 के तहत न्याय की गुहार करते हुए इस कार्यवाही को रोकने की अपील दाखिल कर अपना पक्ष रखा। हाईकोर्ट में भी राजाभैया यादव ने अधिवक्ता खड़ा किया और पैरवी शुरू कर दी ताकि स्टे मिलने पर रोक लगे लेकिन माननीय हाईकोर्ट ने तर्कसंगत बहस पर तत्कालीन समय केस में प्रोसिडिंग स्टे कर दिया था। बतलाते चले तब से आज तक लगातार हाईकोर्ट में स्टे बैकेट करवाने की जुगत व बाँदा विशेष न्यायालय में फर्जी हलफनामा देकर स्टे बैकेट होने का मिथ्या प्रार्थना पत्र देकर पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता को मानसिक, आर्थिक हृदयाघात दिया जा रहा है। वहीं सम्मानित न्यायालय की गरिमा को भी धूमिल किया जा रहा हैं। उल्लेखनीय हैं पत्रकार आशीष सागर दीक्षित इस महिला का सांतवा मुल्जिमान / शिकार हैं। पूर्व 6 अभियुक्तों को कोर्ट बरी कर चुकी हैं। इसमें एक नरैनी क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य / पूर्व प्रधान ग्राम मोहनपुर खलारी श्रीमती सुमनलता पटेल के अध्यापक पति ( गरीबों के मददगार ) यशवंत पटेल भी शामिल रहे हैं। हाल ही में 29 मार्च 2022 को बाँदा की विशेष अदालत एससीएसटी कोर्ट बुजुर्ग महिला द्वारा फंसाये गए पांच व्यक्तियों को मुकदमा अपराध संख्या 109/ 2013 में दस साल बाद न्याय देकर साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त व बरी कर दिया है। वहीं पूर्व में मुकदमा अपराध संख्या 201/2013 में राजा पटेल बनाम सरकार आदि वाद में भी सभी आरोपी दोषमुक्त हो चुके है। यहां यह बतलाना समसामयिक हैं कि युवा पत्रकार व व्हिसिल ब्लोअर आशीष सागर दीक्षित ने 6 वर्ष पूर्व में भी वर्ष 2019 तक अपने इस मामलें को सामाजिक व खबरों के मंचो पर बेबाकी से सबके सामने रखकर अपना पक्ष रखा है। वहीं न्यायालय पर सत्यमेव जयते की कसौटी को सही साबित होने की उम्मीद ज़िंदा रखी हैं। काबिलेगौर बात हैं कि मार्च 2016 के तत्कालीन बाँदा पुलिस आला अफसरों, तत्कालीन डीआईजी श्री ज्ञानेश्वर तिवारी जी व एडीजी ला आर्डर श्रीमान दलजीत सिंह चौधरी सहित पुलिस प्रशासन को इसकी बखूबी जानकारी हैं। सोशल मीडिया के साथियों व बौद्धिक जगत को इस प्रकरण की जानकारी हैं। आज 25 मई को बाँदा न्यायालय परिसर में उक्त आशीष सागर दीक्षित बनाम सरकार ( 056/2016 गुड़िया केस ) की पैरवी करने आये विद्याधाम समिति व चिंगारी संगठन के संचालक राजाभैया यादव ने न्यायालय को गुमराह करने की कवायद में बिना पीड़िता के 10 मई को जारी हस्तलिखित नोटिस आज ही 25 मई को जरिये सिविल लाइन पुलिस कर्मी दिलाकर हाईकोर्ट के मौजूदा स्टेटस को स्पष्ट करने की अपील की हैं। संज्ञान रहे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाद 482 याचिका संख्या 6746/2019 में अंतिम आदेश 14 मार्च 2022 को हुआ है जो खबर में ऊपर अंग्रेजी की पंक्तियों में लिखा है। आदेश का जेपीजी खबर में चस्पा हैं। इस दरम्यान आशीष सागर दीक्षित ने इस मामलें को सुलझाने की पहल में विगत नवंबर माह 2021 में अपने पिताजी के माध्यम से बड़ोखर खुर्द के प्रगतिशील किसान व राजाभैया यादव के करीबी प्रेम सिंह से मध्यस्थता करने का प्रस्ताव रखा लेकिन प्रेम सिंह के कहने बावजूद राजाभैया यादव ने बात स्वीकार नहीं की थी। इधर मामला हाईकोर्ट में लंबित रहा जो अभी तक हैं। फिर मार्च 2022 में चित्रकूट के एनजीओ अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान के प्रमुख व राजाभैया यादव के सामाजिक संरक्षणकर्ता गयाप्रसाद गोपाल भाई को इस मसलें में डीडीसी सदाशिव, डीडीसी पति अध्यापक यशवंत पटेल आदि के साथ अवगत कराया था। कमोबेश यह जानकारी उन्हें पूर्व से है और करीब 8 साल से सामाजिक कार्यकर्ता आशीष सागर व गोपाल भाई आपस मे सामने नहीं मिले हैं। अलबत्ता गोपाल भाई से राजाभैया यादव को समझाने और सही सामाजिक दिशा में चलने की मांग उठाई गई। इसको उन्होंने स्वीकार भी किया व टेलीफोनिक वार्ता से गोपाल भाई ने राजाभैया यादव को समझाया भी कि बैठकर बातचीत करो और घटनाक्रम को शांत करें। इधर डीडीसी सदाशिव , डीडीसी पति यशवंत पटेल, कोलावल ग्राम प्रधान श्याम सुंदर यादव और खानपुर के एक व्यक्ति ने इसकी सकारात्मक पहल की लेकिन बात पुनः प्रेम सिंह के ऊपर आ गई और अन्ततः प्रेम सिंह ने पूर्व में राजाभैया के द्वारा आशीष सागर के पिताजी को भाव न देने के क्रम में इस बार मध्यस्थता करने से इंकार कर दिया। वहीं इस राजाभैया यादव संचालक विद्याधाम समिति ने अमर उजाला के वरिष्ठ मंडल पत्रकार रसीद सिद्दीकी उर्फ हमजा पर मध्यस्थता करने की सहमति दी तो जब बात हमजा भाई के ऊपर आ गई तो उन्होंने भी तीन चार बार राजाभैया को फोन किया लेकिन राजाभैया ने उठाया नहीं। इधर आशीष सागर, कोलावल प्रधान व अध्यापक डीडीसी पति यशवंत पटेल हमजा भाई से मिले लेकिन नतीजा सिफर रहा। वही थक हारकर बात खलारी निवासी के एक उनदी पटेल ( राजभैया के कारखास व यशवंत पटेल के पारिवारिक रंजिश वाले व्यक्ति ) के माथे मढ़ी गई। गांव में पंचायत करने की बात आई तो राजाभैया यादव द्वारा पूर्व में खलारी गांव में यशवंत पटेल के बाबा परागी लाल पटेल द्वारा दान की गई जमीन वापस करने और उनदी पटेल की वो ज़मीन लौटाने का मसौदा तैयार हुआ जो राजभैया यादव ने कभी मोहनपुर खलारी में स्कूल खोलने की बिसात पर रचा था। यहीं से राजभैया यादव व डीडीसी सुमनलता पटेल पति व अध्यापक यशवंत पटेल में दुश्मनी शुरू हुई थी। सनद रहे कि राजभैया यादव की विद्याधाम समिति का पूर्व में नाम परागीलाल विद्याधाम समिति था जो झांसी रजिस्ट्रार कार्यालय से सोसाइटी एक्ट में पंजीकृत व एफसीआरए विदेशी फंडिंग अनुदानित एनजीओ हैं। इधर जब उनदी पटेल व राजभैया की सारी शर्ते मार्च 2022 में यशवंत पटेल व आशीष सागर दीक्षित ने स्वीकार कर ली और अपनी मजबूती को यह कहा कि करीब 10 लाख रुपये की ज़मीन यदि राजभैया को देते हैं जो वास्तविकता में उसने कूटरचित तरीके से यशवंत पटेल के बुजुर्गों मसलन परागी लाल पटेल से दान स्वरूप ली थी तो राजभैया यादव भी आशीष सागर दीक्षित बनाम गुड़िया पत्नी रामचरण श्रीवास केस में बयान दिलाये जो कि पुलिस विवेचना में है कि यह दुष्कर्म का केस झूठा लिखाया गया हैं। इस मांग पर राजाभैया यादव ने साफ इंकार कर दिया था। इस पूरी मध्यस्थता मीटिंग में शामिल रहे लोगों की ऑडियो संवाददाता के पास बतौर साक्ष्य सुरक्षित हैं। वहीं अब राजाभैया यादव फिर अपने गंदे इरादे लेकर बुजुर्ग महिला के सहारे जो पूर्व में लोगों को हरिजन एक्ट व 354 जैसी धाराओं में फांस चुकी हैं को हथियार बनाकर पत्रकार व व्हिसिल ब्लोअर आशीष सागर दीक्षित को जरिये कोर्ट सम्मन कराकर प्रताड़ित करने की फिराक में है। मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित हैं लेकिन बाँदा न्यायालय को फर्जी गुमराह करना विद्याधाम समिति के संचालक राजाभैया यादव का कुंठित दांव बनता जा रहा है। देखना यह होगा कि इस केस में अंततः सत्य की हार होती हैं या जीत.... ।
क्यों फंसाया गया पत्रकार आशीष सागर -
बाँदा के इस 6 साल पूर्व चर्चित कथित दुष्कर्म केस की इबारत तब लिखी गई जब 25 फरवरी 2016 को विद्याधाम समिति के संचालक राजाभैया यादव पर इनकी फील्ड वर्कर सीमा विश्वकर्मा पुत्री स्वर्गीय रामेश्वर विश्वकर्मा निवासी ग्राम अनथुआ ने थाना अतर्रा में अपराध संख्या 037/2016 के तहत धारा 376 व आईटी एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था। तत्कालीन बसपा नेता मधुसूदन कुशवाहा ने इसमें सीमा की फौरी मदद की जो बाद में मुख्यतः आशीष सागर दीक्षित के गले की फांस बन गया। यशवंत पटेल के चलते आशीष सागर ने इसमें सीमा की मदद करने का कदम उठाया जिसमें अतर्रा निवासी सीमा की सहेली व राजाभैया की तत्कालीन फील्ड वर्कर प्रोजेक्ट एक्शन एड ने भी पैरवी की थी। राजाभैया ने बढ़ते पुलिसिया दबाव को कम करने और आशीष सागर दीक्षित को बैकफुट पर लाने के लिए अपनी कार्यकर्ता व चिंगारी संगठन की सत्तर वर्षीय हरिजन कार्यकर्ता ग्राम अंश बाबूपुर मजरा करतल गुड़िया उर्फ गुलुआ से मार्च 2016 में धारा 376,452,323,504 व हरिजन एक्ट का मुकदमा थाना नरैनी में लिखाया था। राजाभैया बनाम सीमा केस में तत्कालीन पुलिस विवेचक राकेश पांडेय को मैनेज कर धारा 354 की चार्जशीट अतर्रा कोर्ट में दाखिल करा दी गई और 6 माह से फरारी काट रहे राजाभैया यादव 40,000 के जमानत मुचलके पर रिहा कर दिए गए। यह केस आज भी विचारधीन हैं लेकिन वादीया सीमा विश्वकर्मा ( अब चित्रकूट के बेड़ीपुलिया क्षेत्र स्थित डाक्टर मदनगोपाल बाजपेई निवासी पनगरा,गिरवां में कार्यरत है।) की लचर पैरवी और सूत्रानुसार राजाभैया से गोपाल भाई व संगीतकार लल्लू राम की बिचवानी में समझौता कर लेने के चलते अब राजाभैया यादव बेखौफ व अन्ना होकर आशीष सागर दीक्षित को प्रताड़ित कर रहा है। जबकि उक्त सीमा विश्वकर्मा ने पुनः विवेचना में विवेचक शोहराब आलम के समक्ष आशीष सागर बनाम गुड़िया केस में अपने कलमबंद बयान राजाभैया के खिलाफ दिए है। व अपनी मदद में फलस्वरूप राजाभैया द्वारा आशीष सागर को फांसने की बात कही हैं जैसी अन्य गवाहों ने की हैं। समाज में किसी की मदद के बदले हाथ कैसे जलते हैं यह केस इसकी नजीर हैं। आशीष सागर केस में राजाभैया यादव की तत्कालीन सहयोगी चित्रकूट निवासी कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता शहरोज फातिमा ने गुड़िया की एफआईआर लिखी थी इनका मोबाइल नम्बर आशीष सागर पर दर्ज एफआईआर में है वहीं सीमा केस में राजाभैया यादव के पक्ष में इन्ही शहरोज फातिमा के बयान दर्ज हैं जिसकी प्रति संवाददाता के पास उपलब्ध हैं। बतलाते चले कि इन्ही शहरोज फातिमा को अमर उजाला ने बीते 24 अप्रैल 2022 को " महिलाओं को अधिकार दिलाने का इन्हें हैं जुनून" शीर्षक से अपराजिता सीरीज में महिमामंडन किया है। विडंबना तो देखिए समाजसेवा करने वाले एनजीओ कैसे निरपराध के सामाजिक और चारित्रिक हत्या का संघठित गन्दा खेल खेल रहे है यह किसी भी जीवित आदमी को अवसादग्रस्त व उत्पीड़न के चर्मोत्कर्ष का पर्याय हो सकता हैं। फिलहाल न्याय की जिजीविषा में संघर्ष ही जीवन है.... प्रकरण की परिणति समान्नित न्यायालय के हाथों में समर्पित हैं। इस केस के बाद ही आशीष सागर पर बाँदा के राजनीतिक व खनन माफियाओं ने सिलसिले वार मुकदमें लिखवाए जिनमें भी आशीष सागर पुलिस विवेचना में पाकीजा हैं ज्यादातर केस लचर हो चुके है। इन्ही सबका बेजा फायदा उठाकर बीते 23 नवंबर को वर्तमान बाँदा पुलिस अधीक्षक ने एक व्हिसिल ब्लोअर को हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया। यह मामला भी मीडिया में उछला और आज इलाहाबाद हाईकोर्ट तक जा पहुंचा हैं फिलहाल सूबे के गृह सचिव, बाँदा एसपी व नगर कोतवाल ने अभी तक अपना जवाब उच्च न्यायालय में दाखिल नहीं किया है।
घास की रोटी से गहरार नाला सफाई और कोलावल खदान तक चिंगारी की रोटी -
राजाभैया यादव अपने एनजीओ विद्याधाम समिति व तथाकथित चिंगारी संगठन में ज्यादातर गंवई उन महिलाओं को रखता हैं जो हरिजन, हर तरह के काम मे माहिर, मजबूरी में रोजगार की तलाश रखने वाली, तलाकशुदा, गरीब, संसाधन वंचित, अनाथ, आंशिक साक्षर और आक्रामक व लड़ाई- झगड़े में अभ्यस्त हो जिससे सामाजिक छवि में आंदोलनकर्मी , सोशल एक्टविस्ट और वंचितों की पैरवी का मसीहा बना जा सके। मीडिया में यह खबरों की सनसनी बन सकें और सरकार व प्रशासनिक अमले को घेराबंदी की जाती रहे। जाहिर हैं देशी और विदेशी फंडिंग मसलन एक्शन एड, एड इट एक्शन आदि इसी कतार की फंडिंग एजेंसी हैं। एफसीआरए की बड़ी धनराशि भारतीयों की भुखमरी, सरकार विरोधी गतिविधियों और पलायन व महिला हिंसा, दलित मुद्दों पर ही मिलती हैं। यही बुंदेलखंड में ऐसे एनजीओ की सफलता का माकूल मुकम्मल रहस्य हैं। बतलाते चले राजाभैया यादव ने ही कुछ साल पहले कालिंजर क्षेत्र के गुढ़ा कला अंतर्गत सुलखान का पुरवा में घास की रोटी खिलाकर सुर्खियां अर्जित की थी। इसका खुलासा भी गांव कनेक्शन , इंडिया टुडे में हो चुका है। बीते दो साल पहले करतल क्षेत्र के गहरार नाले में कोरोना काल के पूर्व रोजगार के नामपर परदेस से लौटे गरीबों को बरगलाने के बाद प्रशासन की छवि धूमिल करने को गहरार नाले को नदी बतलाकर उसके पुनर्जीवित करने का मीडिया ट्रायल चलाया गया जो बाद में मुख्यमंत्री योगी सरकार के प्रथम कार्यकाल की सूझबूझ व सीडीओ बाँदा के हस्तक्षेप से उजागर हुआ था। यही कुछ साल पहले कोलावल खदान में चिंगारी की महिलाओं संग मौजूदा प्रधान के खिलाफ साजिश रचकर खेल किया गया। आज ग्राम प्रधान जी गोपाल भाई की मध्यस्थता पश्चात राजाभैया यादव को माफ कर चुके है। तत्कालीन नरैनी विधायक राजकरण कबीर से राजाभैया को नोकझोंक तब खूब वायरल हुई थी। इधर कुछ फंडिंग एजेंसियों से वित्तीय सहयोग पाकर पुनः राजाभैया यादव अपने मंसूबों को कामयाब करने की उड़ान पर सवार है और बेगुनाहों की सुनियोजित सामाजिक हत्या करने की पटकथा लिखने लगें हैं।